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दुनिया को देखने का नया नज़रिया : वर्चुअल रिएलिटी

जयपुर 21 सितंबर 2019

हमारे मस्तिष्क की सीखने की क्षमता अद्भुत है। और कहानियों के माध्यम से हम कल्पनाओं की नई ऊंचाइयों को छूते हैं। साथ ही ये हमारे मनोरंजन का स्त्रोत भी है।  इस विषय पर बी. बी. सी. ने टॉक जर्नलिज्म 2019 कार्यक्रम में एक वर्कशॉप का आयोजन किया जहाँ भावनात्मक कहानियों  के माध्यम से लोगों के मस्तिष्क तक पहुँचने का प्रयास किया गया।  इसमें लोगों ने बढ़ चढ़ के हिस्सा लिया। टॉक जर्नलिज्म के एक टीम मेंबर के अनुसार इस वर्कशॉप में लगभग 50 से भी ज्यादा लोगों ने भाग लिया और लोगों में इसके लिए ख़ासा उत्साह देखने को मिला।
इस वर्कशॉप में टॉम मिले और विकास पांडेय द्वारा निर्देशित  3 शार्ट वीडियो दिखाए गए।  ये एक अलग अनुभव था क्योंकि ये ७ से ८ मिनट की वीडियो स्टोरी लोगों को वर्चुअल रियलिटी के माध्यम से दिखाए गए।  वर्चुअल रियलिटी से एक ऐसा आर्टिफिशियल एन्वॉयरन्मेंट है जिसे की सॉफ्टवेयर और कुछ ख़ास हार्डवेयर की मदद से बनाया जाता है।  वर्चुअल रियलिटी का अर्थ होता है एक ऐसी दुनिया की संरचना करना जो की बिलकुल काल्पनिक हो लेकिन पूरी तरह से असल प्रतीत हो।  इसके लिए हाई परफॉरमेंस कम्प्यूटर्स और सेंसरी इक्विपमेंट का इस्तेमाल किया गया।
किसी भी कहानी में सबसे अहम होते हैं किरदार।  और ये पात्र बहुत अहमियत रखते हैं लोगों को भावनात्मक रूप से कहानी से जोड़ने में।  वर्कशॉप में दिखाई गए ३ वीडियो में कहानियां सामाजिक समस्याओ पर केंद्रित थी।  एक कहानी स्कूल जाने वाली दो छोटी लड़कियों और उनके शिक्षा पाने के लिए संघर्ष की थी।  वहीं दूसरी कहानी दो वृद्ध महिलाओं की थी जो अपने जीवन में पहली बार कुम्भ मेले में जाती हैं  और अपनी भावनाएँ व्यक्त करती हैं।  साथ ही एक कहानी ऐसे किसान परिवार पर केंद्रित थी जहाँ किसान आत्महत्या कर लेता है और उसके बाद उसकी बेटी कैसे वापस परिवार के जीवन  में  संतुलन लाती है और क्या संघर्ष करती है।  
ये दर्शकों के लिए एक नया अनुभव था और वर्चुअल रियलिटी जैसी टेक्नोलॉजी के माध्यम से वीडियोग्राफी के क्षेत्र में क्रन्तिकारी बदलाव आ रहे हैं।

Text: Anisha Singh & Nishant Jha | Copy Edit: Niharika Raina | Photo: Qadeer Ehaab | Photo Desk: Sagar Samuel | Editorial Coordination: Rupali Soni & Niharika Raina

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