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महिलाएं “अंडर प्रोमिस्ड और ओवर डेलिवर्ड” होती हैं

इतिहास में महिलाएं हर समाज का एक अहम हिस्सा रहीं हैं। आज के दौर में वो हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं और अपना वर्चस्व कायम कर रही हैं। आज ऐसा शायद ही कोई क्षेत्र होगा जहां महिलाओं की भूमिका ना रही हो। ऐसा ही एक क्षेत्र है मीडिया का। मीडिया में, विशेषकर  ‘न्यूज़ रूम में महिलाओं की भूमिका’ विषय पर टॉक जर्नलिज्म 2019 कार्यक्रम में एक सत्र का आयोजन हुआ। इस सत्र में दीपल त्रिवेदी, मर्या शकील, निष्ठुला हेब्बार और प्रेरणा साहनी से बात चीत की शरण्या गोपीनाथ ने। सत्र का सबसे अहम मुद्दा था कि महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं, नाम कमा रही हैं लेकिन आज भी न्यूज़ रूम में उनकी भूमिका कम क्यों है? हालांकि पहले की स्थिति में और अब की स्थिति में थोड़ा फर्क आया है और धीरे धीरे इसमें बदलाव भी आ रहा है। 
 
सत्र में चर्चा का विषय केंद्रित था इस बात पर की आज भी क्यों जब एक समान रूप से देखा जाए तो महिलाओं को पुरुषों के मुक़ाबले कम मौके दिए जाते हैं किसी भी मीडिया हाउस की टॉप मैनेजमेंट टीम में जाने के। दीपल त्रिवेदी के अनुसार  “अगर देखा जाए तो किसी भी राष्ट्रीय अख़बार में 72% तक बाई लाइन पुरुष रिपोर्टर की होती है। महिलाओं को कम मौके दिए जाते हैं। साथ ही अगर आंकड़े देखे तो पिछले कुछ वर्षों में पूरे विश्व में सबसे ज्यादा नौकरी खोने वाले रिपोर्टर महिलाएं हैं।” 
 
सत्र में कुछ और समस्याओं को भी संभोधित किया गया जैसे की महिला रिपोर्टर्स को काम के बदले कम वेतन मिलना, कई बार कार्य स्थल पर जेंडर के आधार पर भेदभाव का शिकार होना, आदि। 
इतिहास गवाह है कि हमारा समाज हमेशा से ही पितृसत्तात्मक रहा है, जहां पुरुषों को महिलाओं के अधीन काम करने में शरम मेहसूस होती है। आंकड़े भी ये दर्शाते हैं की केवल 6% या उससे भी कम महिलाएं किसी मीडिया हाउस में प्रधान संपादक के पद तक पहुंची हैं। इसका खंडन करते हुए इस सत्र में एक एसी महिला स्पीकर, प्रेरणा साहनी, मौजूद थीं जो खुद अपनी काबिलियत के दम पर आज दैनिक भास्कर में सिटी हैड हैं। “महिलाएं आज हर क्षेत्र ने नाम कमा रही हैं जैसे कि एविएशन, डिफेंस, आदि। स्थिति धीरे धीरे बदल रही है और आने वाले समय में इसमें और सुधार होगi”. 
 
इस सत्र में मार्या शकील ने महिलाओं की काबीलियत की ओर इशारा करते हुए कहा कि ” वो अंडर प्रोमिस्ड और ओवर डेलिवर्ड ” होती हैं, यानी कि उनसे अपेक्षा कम की जाती है परन्तु वो काम ज्यादा बेहतर करती हैं। “महिलाएं हर काम में अपना 100% एफर्ट देती हैं और काम को पुरुषों के मुकाबले जाता चेष्ठा से करती हैं। उनमें वो ‘ एक्स फैक्टर ‘ होता है जिसकी वजह से वो बेहतर प्रदर्शन कर पाती हैं।” कुछ ऐसे ही विचार के साथ प्रेरणा साहनी ने कहा कि ना केवल ‘ एक्स फैक्टर ‘ बल्कि महिलाओं में ‘ डबल एक्स फैक्टर ‘ होता है क्योंकि वो घर की बहुत सारी जिम्मेदारियों को संभालते हुए घर से बाहर दफ़्तर का काम करने की भी क्षमता रखती हैं। 
 
एक महिला अगर कुछ ठान ले तो वो कुछ भी कर सकती है और अपने सपनों कि उड़ान भर सकती है। इस बात का प्रमुख उदाहरण तो ये ही है कि इतने बड़े मंच पर चार ऐसी महिलाएं हैं जिन्होंने अपनी प्रतिभा और मेहनत के दम पर ये मुकाम हासिल किया और इतना नाम कमाया कि आज इस अवसर पर उन्हें सबके समक्ष महिलाओं कि ही स्थिति का वर्णन करने के लिए आमंत्रित किया गया।
 
Text: Anisha Singh | Copy Edit: Rupali Soni | Photo: Anisha Singh | Photo Desk: Sagar Samuel | Editorial Coordination: Rupali Soni & Niharika Raina
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