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“अब तो आदत सी है मुझको” : थरूर

जयपुर, 20 सितंबर 2019 – एक ऐसा मंच जहां शशि थरूर जैसे राजनीतिज्ञ से लेकर दूर दराज़ के पहाड़ी इलाके में बसने वाले यूट्यूबर सत्य सागर जैसी तमाम नामचीन हस्तियां शिरकत करने वाली हैं, वो मंच है टॉक जर्नलिज्म का। आज जयपुर स्थित फेयरमोंट होटल में टॉक जर्नलिज्म कार्यक्रम का आगाज़ हुआ। इस कार्यक्रम में देश के अलग अलग हिस्सों से छात्र- छात्राएं बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहें हैं।
आज सुबह 10.15 बजे से शुरू हुए उद्घाटन सत्र में शशि थरुर बड़े आकर्षणों में से रहें। करण थापर ने थरुर से ‘असहमति के लिए सिकुड़ती जगह ‘ (श्रींकिंग स्पेस फॉर डीसेंट) के बारे में बात चीत की। इस मुददे पर थरुर ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि आज के दौर में असहमति या अस्वीकृति को जगह नहीं मिलती। अगर सरकार के संदर्भ में इसे देखा जाए तो जो सरकार के खिलाफ अपनी असहमति प्रकट करता है उसे राष्ट्र विरोधी का दर्ज़ा दे दिया जाता है। और इसकी वजह से लगातार लोकतंत्र का महत्व कम होता जा रहा है। एक स्वस्थ लोकतंत्र में सभी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। और कई बार अपनी असहमति के चलते आलोचना झेलनी पड़ती है।
थरुर सोशल मीडिया साइट ट्विटर पर बहुत प्रचलित हैं। उनके लगभग 7.2 मिलियन फॉलोवर्स हैं और इसी के साथ वो ट्विटर पर सबसे ज्यादा ट्रॉल किए जाने वाले नेता भी हैं। अपनी भारी अंग्रेज़ी के लिए उन्हें अक्सर मज़ाक का शिकार होना पड़ता है। इस बारे में पूछे जाने पर थरुर ने हंस कर कहा कि उन्होंने शुरू में इसे बहुत गंभीरता से लिया पर उन्हें अब इस मज़ाक की आदत हो चुकी है। उनके अनुसार कई बार विपक्ष द्वारा भी ऐसा किया जाता है ताकि किसी की छवि खराब की जा सके। इसमें कुछ हद तक उन्होंने मीडिया को भी जिम्मेदार ठहराया क्योंकि कुछ मीडिया चैनल कई बार ऐसी खबरें नहीं दिखते जिसमें सरकार के खिलाफ कोई बात कही गई हो।
इस सत्र के आख़िर में श्रोताओं ने भी अपने प्रश्न दागे और थरुर ने बख़ूबी उनका जवाब दिया। ये कार्यक्रम अभी 3 दिन तक जयपुर में होने वाले है और इसमें कई अन्य जर्नलिस्ट भी हिस्सा लेंगे।

Text : Anisha Singh | Copy Edit : Rupali Soni | Photo : Sagar Samuel | Editorial Coordination: Rupali Soni & Niharika Raina

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